17 अक्टूबर 2020 चैत्र शारदीय नवरात्रि मुहूर्त और पूजन (Chaitra Shardiya Navratri 17 October, 2020 Muhurat and Puja) - Health : Ayurvedic Home Remedy in Hindi

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17 अक्टूबर 2020 चैत्र शारदीय नवरात्रि मुहूर्त और पूजन (Chaitra Shardiya Navratri 17 October, 2020 Muhurat and Puja)


17 अक्टूबर 2020 चैत्र शारदीय नवरात्रि मुहूर्त और पूजन
Chaitra Shardiya Navratri 17 October, 2020 Muhurat and Puja

नवरात्रि का इंतजार किसको नहीं रहता | नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जो 9 से 10 दिन चलता है, जिसमें सभी भारतीय लोग इसका भरपूर आनंद लेते हैं | घरों में कई तरह के पकवान (Navratri recipe) बनते हैं तथा लोग शाम के समय गरबा खेलने के लिए अलग रूप की ड्रेस पहनते हैं जो दिखने में काफी सुंदर और राजस्थानी लुक वाली लगती है | गुजराती (Gujarati) लोगों के लिए नवरात्रि का त्योहार बहुत ही बड़ा त्यौहार है जो कि इसका पूरे साल इंतजार किया जाता है | गरबा गुजरती में सबसे प्रसिद्ध नृत्य है |गुजराती लोग नवरात्रि में काफी खर्चा करते हैं , घरों में सजावट करते हैं, कई तरह के पकवान बनाते हैं तथा नवरात्रि के 9 दिनों में सभी अलग-अलग ड्रेस (Garba or Navaratri dress) पहनकर गरबा नृत्य करते हैं | 17 अक्टूबर 2020 इस साल की नवरात्रि ज्यादा कुछ अनुभव वाली नहीं रहेगी क्योंकि कोरोना के कारण इसका थोड़ा मजा बिगड़ गया है | लेकिन फिर भी इसका आनंद जरूर ले | लेकिन सावधानी जरूर बरतें, मास्क लगाकर ही बाहर निकले | बिना मां के आप घर से बाहर ना निकले, क्योंकि जहां आप जा रहे हो वहां भीड़भाड़ वाला इलाका रहेगा | लोगों से दूर रहे, किसी के टच ना हो या फिर हाथों में पतले दस्ताने पहने | नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है, घरों में नवरात्रि के लिए सजावट होना शुरू हो गई है | लोग इसके लिए शॉपिंग करने लगे हैं |

नवरात्रि मुहूर्त व घटस्थापना (Navratri Muhurat 17 अक्टूबर 2020)


सुबह 8:16am से कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त रहेगा, जो 10:31am तक चलेगा | ज्योतिष के अनुसार पूरे दिन में कलश स्थापना के कई योग बन रहे हैं | इसमें सुबह 11:36am से 12:24pm तक अभिजीत मुहूर्त में भी बड़ी संख्या में लोग कलश स्थापना करके दुर्गा शक्ति की आराधना शुरू करते हैं | इसी दिन दोपहर 2:24pm से 3:59pm मिनट तक और शाम 7:13pm से 9:12pm तक स्थिर लग्न है | इस समय भी कलश स्थापना की जा सकती है | पहले दिन घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है |

नवरात्र में तीन स्वार्थसिद्धि योग बहुत ही शुभ, गुरु व शनि रहेंगे स्वगृही |


इस नवरात्रि के दौरान तीन स्वार्थसिद्धि योग 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को बन रहा है | वही एक त्रिपुष्कर योग 18 अक्टूबर को बन रहा है | ज्योतिष के अनुसार इस नवरात्रि में गुरु व शनि स्वगृही ही रहेंगे, जो बेहद शुभ फलदाई माना जाता है | इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के साथ-साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी लाभदायक होगा | इस दौरान झूठ, फरेब, व्यसन और गंदी चीजों से बचना चाहिए | नवरात्रि के दिन काफी पवित्र और शुभ माने जाते हैं | कन्या पूजन के साथ-साथ 9 वर्ष से नीचे की कन्याओं को भोजन करवाकर उन्हें उपहार भी देना चाहिए |

तिथि और मां का पूजन :

17 अक्टूबर - प्रतिपदा - घट स्थापना और शैलपुत्री पूजन
18 अक्टूबर - द्वितीया - मां ब्रह्मचारिणी पूजन
19 अक्टूबर - तृतीया - मां चंद्रघंटा पूजन
20 अक्टूबर - चतुर्थी - मां कुष्मांडा पूजन
21 अक्टूबर - पंचमी - मां स्कन्दमाता पूजन
22 अक्टूबर - षष्ठी - मां कात्यायनी पूजन
23 अक्टूबर - सप्तमी - मां कालरात्रि पूजन
24 अक्टूबर - अष्टमी - मां महागौरी पूजन
25 अक्टूबर - नवमी, दशमी - मां सिद्धिदात्री पूजन व विजया दशमी

नवरात्रि में पूजा पाठ करने की विधि (Method of reciting mantra Puja in Navratri : Navratri puja vidhi at home 2020)


बड़ी संख्या में लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं करते हैं | नवरात्रि में दुर्गा पाठ करने का विधान है | पंडित प्रेम सागर के अनुसार खुद से पाठ करने वाले या स्वयं जो नवरात्रि में दुर्गा पाठ करते हैं, उन श्रद्धालुओं को दुर्गा पाठ करने से पहले माता का श्रद्धापूर्वक ध्यान करना चाहिए | इसके बाद दुर्गा माता के 108 नाम का ध्यानपूर्वक जाप करना चाहिए | इसके बाद ही विनियोग करना चाहिए | इसके बाद श्रापमुक्ति मंत्र का पाठ करना चाहिए और फिर इसके बाद कई तरह विघ्नयास करने के बाद माता का ध्यान करते हुए दुर्गा माता कवच का पाठ करने का विधान है | दुर्गा माता कवच पाठ के बाद अर्गला, किलक आदि का पाठ करके सप्तशती का पाठ करना चाहिए | इन सभी का पाठ, पूजा विधि अनुसार करना चाहिए ताकि आपको इसका फल मिल सके | आप इसकी कोई पुस्तक या मार्गदर्शक के अनुरूप यह विधि अपनाएं |

श्री दुर्गाजी की आरती : जय अम्बे गौरी, मैय्या जय श्यामा गौरी (Navratri Maa Durga puja Arti in hindi)

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।.

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री।। जय अम्बे गौरी।.

मांग सिंदूर बिराजत, टीको मृगमद को।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रबदन नीको।। जय अम्बे गौरी।.

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै।। जय अम्बे गौरी।.

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।

सुर-नर मुनिजन सेवत, तिनके दुःखहारी।। जय अम्बे गौरी।.

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।

कोटिक चंद्र दिवाकर, राजत समज्योति।। जय अम्बे गौरी।.

शुम्भ निशुम्भ बिडारे, महिषासुर घाती।

धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती।। जय अम्बे गौरी।.

चण्ड-मुण्ड संहारे, शौणित बीज हरे।

मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे।। जय अम्बे गौरी।.

ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी।। जय अम्बे गौरी।.

चौंसठ योगिनि मंगल गावैं, नृत्य करत भैरू।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू।। जय अम्बे गौरी।.

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।

भक्तन की दुःख हरता, सुख सम्पत्ति करता।। जय अम्बे गौरी।.

भुजा चार अति शोभित, खड्ग खप्परधारी।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी।। जय अम्बे गौरी।.

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।

श्री मालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति।। जय अम्बे गौरी।.

अम्बेजी की आरती जो कोई नर गावै।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-सम्पत्ति पावै।। जय अम्बे गौरी।.

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