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सफाई और स्वास्थ्य (Hygiene And Health Tips)
स्वास्थ्य को लेकर योग आदि या आहार सम्बंधी नियमों का पालन करना उस
स्थिति में बेकार होता है, जब आप शरीर की स्वच्छता का ध्यान नहीं रखते। सफाई
के बिना ये सब बातें व्यर्थ हैं। स्वच्छता का जीवन में बड़ा ही महत्व है। यहां हम
शारीरिक स्वच्छता की तो बात कर ही रहे हैं, वातावरण की स्वच्छता की बात भी स्वास्थ्य
से सम्बंधित ही है। जहां आप रहते हैं, उस कॉलोनी का वातावरण, आपके घर का वातावरण, सबकुछ स्वच्छ होना
चाहिए तभी बेहतर स्वास्थ्य की कल्पना की जा सकती है।
- शरीर हो, घर हो या कॉलोनी, उसे साफ रखने में अंततः आपका ही लाभ है। आइए सफाई के कुछ पहलुओं पर विचार करें
- प्रतिदिन स्नान (नहाने के टिप्स और फायदे) करें। पानी मौसम के अनुसार ठंडा या हल्का गुनगुना लें। कभी भी बहुत ठंडे या बहुत गर्म पानी से स्नान न करें। स्नान से पहले हल्की तेल-मालिश कर लें।
- नहाने का साबुन कीटाणुनाशक होना चाहिए। स्नान से पहले यदि मालिश करना सम्भव न हो तो स्नान के बीच में शरीर पर तेल का हाथ लगा लें, इससे त्वचा शुष्क नहीं रहती। स्नान के बाद शरीर को किसी नर्म तौलिये से रगड़कर साफ करें।
- दिन में प्रत्येक बार कुछ खाने के बाद कुल्ला करें। उंगली से दांतों की मालिश करें। सुबह-शाम कम से कम दो बार ब्रश अवश्य करें।
- आपके अंडर गारमेंट्स स्वच्छ व सुविधायुक्त होने चाहिए। अधोवस्त्र बिल्कुल भी चुस्त न हों। ऊपर पहनने के वस्त्र भी साफ-सुथरे, मौसम के अनुकूल व सुविधाजनक होने चाहिए।
- खान-पान में भी स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें। आजकल पीने के पानी में काफी दोष उत्पन्न हो चुके हैं, अतः पानी उबालकर ठंडा किया हुआ हो या किसी अच्छे फिल्टर से साफ किया पानी ही पीने के लिए उपयोग करें। बासी खाना न खाएं। बासी खाने में कई प्रकार के दोष उत्पन्न हो जाते हैं जिनसे खाने की शक्ल या स्वाद में भले ही कोई फर्क नजर न आए, किन्तु वह दोषयुक्त हो जाता है।
- जहां तक सम्भव हो, कृत्रिम प्रकाश से बचें। घर हो या दफ्तर प्राकृतिक प्रकाश को महत्व दें। आपके बैठने, लिखने पढ़ने का स्थान, चाहे घर में हो या दफ्तर में, हवादार और प्रकाशयुक्त होना चाहिए।
- पहनने के वस्त्रों के साथ-साथ सोने के वस्त्रों (बिछौनों) की सफाई का भी पूरा ध्यान रखें। गंदे, मैले या बदबूदार बिस्तर पर सोना और इसी प्रकार का कपड़ा ओढ़ना (कम्बल-चादर आदि) नुकसानदायक होते हैं। बेडशीट आदि, पिलो कवर्स साफ-सुथरे हों।
- कोशिश करें कि तौलिया आदि आपको किसी दूसरे का प्रयोग न करना पड़े। इसी प्रकार कंघी के विषय में सावधानी बरतें। एक-दूसरे की ये चीजें प्रयोग करने से संक्रामक बीमारियां फैलती हैं।
- इसी प्रकार की सावधानी खाने-पीने के बर्तनों में भी बरतें। न अपने बर्तन में किसी को खिलाएं-पिलाएं और न किसी के झूठे बर्तन प्रयोग करें। इसी प्रकार किसी का झूठा भी न खाएं।
- यदि खांसी-जुकाम जैसा कोई रोग है तो ध्यान रखें कि ये संक्रामक रोग हैं। खांसते या छींकते समय मुंह पर रूमाल रखें। रूमाल न हो तो दोनों हाथों से चेहरा ढांप लें, किन्तु किसी दूसरे का रूमाल इस्तेमाल न करें, न अपना किसी दूसरे को दें।
- इधर-उधर थूकने की आदत न डालें। इससे गंदगी भी फैलती है और संक्रमण भी। .
- यदि घर में कोई रोगी है, तो उसकी सफाई आदि का पूरा ध्यान रखें। उसकी देखभाल भी सावधानी से करें और स्वयं को बचाकर रखें। रोगी के साथ लिपटा-चिपटी न करें और न ही मुंह से मुंह भिड़ाकर बात करें। रोगी के पहनने के वस्त्र और बिस्तर की शीट आदि नित्य बदलें। रोगी के शरीर की सफाई का भी पूरा ध्यान रखें। उसे जहां-तहां न थूकने दें।
- हाथ-पांवों के नाखून और गुप्तेन्द्रियों के बालों की यथासम्भव सफाई करतेरहें।
- कुछ लोगों को दांतों से नाखून काटने की आदत होती है, ये बुरी आदत है, इसका तुरन्त त्याग करें। छोटे बच्चे यदि घर में अंगूठा आदि चूसते हों तो उनकी यह आदत भी प्यार से छुड़ाएं।
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