सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए कुछ टिप्स (Tips for Healthy Body and Healthy life) - Health : Ayurvedic Home Remedy in Hindi

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सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए कुछ टिप्स (Tips for Healthy Body and Healthy life)

 

सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए कुछ टिप्स (Tips for Healthy Body and Healthy life)
Tips for Healthy Body and Healthy life at www.healthcruz.com

  • प्रातःकाल सूर्योदय से पहले बिस्तर का त्याग कर दें।
  • तांबे के बर्तन में रात को पानी रखें सुबह कम से कम दो गिलास या अधिक पीएँ।
  • एक चम्मच त्रिफला का प्रयोग करें।
  • नाश्ते में शुद्ध आहार लें (डिब्बा, पैकेट या शीशियों में बंद आहार का यथासंभव त्याग करें)
  • नशीले पदार्थों का सेवन त्याग दें।
  • आहार में शाकाहारी भोजन, सलाद, फल, जूस इत्यादि लें।
  • दोपहर के पहले आहार लेने की कोशिश करें तथा रात्रि विश्राम के 4 घंटे पहले भोजन करें तथा रात्रि को जल्दी सोएँ।
  • सात्विक और शुद्ध भोज्य पदार्थ आपके ओज और तेज का तो निर्माण करता ही है साथ ही प्रसन्नता और प्रेम की भावनाओं को भी उत्पन्न करता है।
  • खाँसी, छींक, जम्हाई, उल्टी, पेशाब एवं शौच को कदापि रोकें। इन्हें रोकने से कई तरह की बीमारियाँ जन्म लेती हैं।
  • जानवरों की तरह दिनभर जुगाली करना छोड़ दें। बबलगम, च्युइंगम, गुटखातम्बाकू, पान-बीड़ी, सिगरेट जब इनको चबाते हैं या पीते है तो ये भी आपके बहुमूल्य जीवन को चबाते हैं और पीते हैं। तो क्या आप चाहते हैं कि कोई आपके जीवन को मुफ्त में चबाए और पी जाए ? अतः इनका सेवन कदापि  करें।
  • रात को सोने से पूर्व हाथ, पैर एवं चेहरे को साफ़ पानी से ज़रूर धोना चाहिए। ऐसा करने से नींद अच्छी आती है और स्वास्थ्य लाभ भी होता है।
  • पेट की बीमारियाँ एवं क़ब्ज़ (Constipation), अजीर्ण, वात, पित्त, कफ़ ये सब उपवास से नियंत्रित होते हैं।
  • जीवन जीने के लिए खाना खाएँ, खाने के लिए जिएँ।
  • आहार शुद्ध  होने से अंतःकरण की शुद्धि होती है। अंतःकरण की शुद्धि से निश्चल स्मृति मिलती है, स्मृति की प्राप्ति होने पर सम्पूर्ण  ग्रंथियाँ खुल जाती  हैं।
  • वात, पित्त, कफ़; ये तीनों ही शरीर को रोगी और निरोगी बनाते हैं। इनको ध्यान में रखकर अपना खान-पान, व्यवहार, व्यायाम, दिनचर्या तथा बाक़ी की बातें निर्धारित करें। जिससे आप वात, पित्त, कफ़ के प्रकोप से बच सकें। 
  • अपने आत्मबल से वात, पित्त, कफ़ को संतुलित करें। वात रोग शांत करने के लिए चिंता का त्याग करें। पित्त रोग को शांत करने के लिए अपनी क्षमताएँ I और कफ रोग को शांत करने के लिए अपने स्वभाव में स्थिरता लाएँ। 
  • रात को दो बादाम पानी में डाल दें एवं सुबह दूध के साथ छिलका उतारकर घिसकर खाएँ। यह आपकी स्मरणशक्ति में वृद्धि करता है तथा दिमाग तेज़ करता है।
  • सूक्ष्म व्यायाम हल्के आसन के साथ सूर्य नमस्कार करें।
  • अच्छे स्वास्थ्य के लिए नियमानुसार योगाभ्यास करें।  
  • ध्यान प्रभुदर्शन करें। 
  • योगासन सम्बंधी क्रियाएँ मात्र हमें अच्छा स्वास्थ्य ही प्रदान नहीं करतीं बल्कि वे हमें मानसिक स्वस्थता भी प्रदान करती हैं।
  • ब्रह्मचर्य अपनाएँ, जीवन मज़बूत बनाएँ।
  • मात्र योग ही आज एक ऐसा विकल्प है जिससे मेरुदण्ड में लचीलापन पैदा किया जा सकता है। यह शरीर, मन तथा मस्तिष्क को अच्छा स्वास्थ्य सुख-शांति प्रदान करता है। कहा भी गया है कि 'स्वस्थ शरीर में स्वस्थ  मस्तिष्क का निवास होता है।'
  • जिसने योगाभ्यास की अग्नि से अपने शरीर को तपा लिया हो उसे फिर  कोई रोग सताता है ही बुढ़ापा। मृत्यु भी उसके पास जाने से डरती हैउपनिषद्।  
  • सकारात्मक सोच रखें।  
  • बड़ी सोच का बड़ा जादू होता ही है  
  • अच्छे साहित्य पढ़ें - ऊर्जावान बनें।  
  • विनम्रता रखें, शक्तिशाली हो जाएँ।  
  • दिनभर व्यस्त रहते हुए भी अपनी देह के प्रति सजग रहें।  
  • परिवार के अन्य लोगों से अपेक्षा करते हुए उन्हें स्नेह दें।  
  • दस बातों का चिंतन करें और उनका पालन करने की कोशिश करें। - क्षमामार्दन, आर्जव, शौच, सत्य, संयम, तप, त्याग, अकिंचनत्व और ब्रह्मचर्य।  
  • चार चीजें छोड़ दें - क्रोध, मान, माया, लोभ।  
  • पाँच बातें ध्यान रखें, हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह - जो अपनाने योग्य नहीं हैं। 
  • आप दूसरों की नज़रों में कितना उठे हो, इस पर गौर मत करो। खुद की नज़रों में कितना उठे हो, इस पर गौर करो। 
  • दूसरों की राह में फूल बिछाना चालू कर दो। आपके रास्ते के काँटे भी फूल बन  जाएँगे।  
  • आपको भाषाएँ कितनी आती हैं यह महत्वपूर्ण नहीं है। आप कितने संस्कारवान  हैं, यह महत्वपूर्ण है।  
  • सिर में शुद्ध तेल की मालिश ज़रूर करें। बाज़ार के खुशबू वाले तेल से बचें। नारियल का तेल, सरसों का तेल या बादाम का तेल लगाएँ, ये मस्तिष्क को  ताजगी देते हैं।  
  • प्रतिदिन अच्छा साहित्य पढ़ने की आदत डालें। ज्ञान कभी निरर्थक नहीं जाता।  
  • जब शरीर में सात्विक रस रूपी मेघ बरसते हैं तब आयुष्य रूपी नदी  दिन-दिन बढ़ती जाती है।
  • ध्यान रखें मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।  
  • जिसके अंदर आत्मबल है उसकी मदद देवता भी करते हैं।  
  • ध्यान रहे जैसे हमारे टेलीविज़न के अंदर का कोई भी पुर्जा ज़रा सा भी खराब  हो जाता है तो तस्वीर सही नहीं आती, धुंधली आती है। रेखाएँ आती हैं या खराब दिखाई देता है। वैसे ही आपके शरीर का कोई अंग यदि प्रकोपित है तो आपकी ज़िंदगी भी ख़राब टेलीविज़न की भाँति हो जाती है। स्वास्थ्य की तरफ़  ध्यान दें आपकी तस्वीर सदा अच्छी दिखेगी।  
  • हमारा शरीर कई पुद्गल परमाणुओं का पुंज है। अनंत अणु तथा परमाणुओं  से मिलकर बना है। वे सभी इसी ब्रह्माण्ड के असंख्य रहस्य छिपाए हुए हैं। अपने आपको जानने की चेष्टा करें। जाने कौन सा रहस्य, कौन सी शक्ति प्रदान कर जाए।  
  • जैसे हम मकान बनाते समय यदि नक़ली माल लगा देंगे तो वह जल्दी गिर जाएगा और टूटकर बिखर जाएगा। उसी प्रकार आप जो भोजन करते हैं, उसी से आपका निर्माण होता है। अब आपके ऊपर निर्भर करता है कि आप अपने देह-रूपी मकान को कैसे बनाते हैं। 
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